गुरुवार, ९ एप्रिल, २०२०

💥🌸दिनविशेष🌸💥* 9 एप्रिल




*💥🌸दिनविशेष🌸💥*
    
 *९ एप्रिल १९९४*

सूक्ष्मजीवशास्त्रातील उल्लेखनीय कामगिरीबद्दल शास्त्रज्ञ पी. एम. भार्गव यांना आर. डी. बिर्ला राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करण्यात आला.

अजमेर में पैदा हुए भार्गव ने थियोसोफिकल कॉलेज, लखनऊ और क्वींस कॉलेज, वाराणसी से शुरुआती पढ़ाई की थी। उन्होंने वर्ष 1944 में भौतिकी, रासायन और गणित में बीएससी किया था। वर्ष 1946 में एमएससी की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने महज 21 वर्ष की आयु में ही लखनऊ विश्वविद्यालय से सिंथेटिक ऑर्गेनिक रसायन में पीएचडी की थी। वह कैंसर के क्षेत्र में शोध के लिए साल 1953 में अमेरिका गए थे।

सीसीएमबी वेबसाइट के मुताबिक उन्होंने कैंसर के खिलाफ कारगर दवा 5-फ्लूरोयूरेसिल की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भार्गव ने ब्रिटेन और फ्रांस के कई शोध संस्थानों में काम किया था। उन्होंने वर्ष 2005 में इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के लिए एआरटी (असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी) के नियमन को लेकर दिशा-निर्देश तय करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। वह जीएम फसलों के विरोधी थी। उन्होंने देश में इसके इस्तेमाल पर कम से कम 15 वर्षो तक के लिए रोक लगाने की वकालत की थी।

भार्गव मोलेक्युलर बायोलॉजी के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक थे। उनके प्रयासों के कारण ही 1970 के दशक में विज्ञान एवं तकनीक मंत्रालय में बायोटेक्नोलॉजी का अलग विभाग बनाया गया था। उनकी कोशिशों का ही नतीजा था कि बेसिक बायोलॉजी के क्षेत्र में शोध-अनुसंधान के लिए वर्ष 1977 में सीसीएमबी की स्थापना की गई। उन्हें पद्म भूषण, फ्रांस के प्रतिष्ठित लीजन द ऑनर (1998) के अलावा सौ से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जा चुका था।

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